परमेश्वर का वचन पाप की शमा के लिए !!!! भजन संहिता 51
1 हे परमेश्वर, अपनी करूणा के अनुसार मुझ पर अनुग्रह कर; अपनी बड़ी दया के अनुसार मेरे अपराधों को मिटा दे।
भजन संहिता 51:1
2 मुझे भलीं भांति धोकर मेरा अधर्म दूर कर, और मेरा पाप छुड़ाकर मुझे शुद्ध कर!
भजन संहिता 51:2
3 मैं तो अपने अपराधों को जानता हूं, और मेरा पाप निरन्तर मेरी दृष्टि में रहता है।
भजन संहिता 51:3
4 मैं ने केवल तेरे ही विरुद्ध पाप किया, और जो तेरी दृष्टि में बुरा है, वही किया है, ताकि तू बोलने में धर्मी और न्याय करने में निष्कलंक ठहरे।
भजन संहिता 51:4
5 देख, मैं अधर्म के साथ उत्पन्न हुआ, और पाप के साथ अपनी माता के गर्भ में पड़ा॥
भजन संहिता 51:5
6 देख, तू हृदय की सच्चाई से प्रसन्न होता है; और मेरे मन ही में ज्ञान सिखाएगा।
भजन संहिता 51:6
7 जूफा से मुझे शुद्ध कर, तो मैं पवित्र हो जाऊंगा; मुझे धो, और मैं हिम से भी अधिक श्वेत बनूंगा।
भजन संहिता 51:7
8 मुझे हर्ष और आनन्द की बातें सुना, जिस से जो हडि्डयां तू ने तोड़ डाली हैं वह मगन हो जाएं।
भजन संहिता 51:8
9 अपना मुख मेरे पापों की ओर से फेर ले, और मेरे सारे अधर्म के कामों को मिटा डाल॥
भजन संहिता 51:9
10 हे परमेश्वर, मेरे अन्दर शुद्ध मन उत्पन्न कर, और मेरे भीतर स्थिर आत्मा नये सिरे से उत्पन्न कर।
भजन संहिता 51:10
11 मुझे अपने साम्हने से निकाल न दे, और अपने पवित्र आत्मा को मुझ से अलग न कर।
भजन संहिता 51:11
12 अपने किए हुए उद्धार का हर्ष मुझे फिर से दे, और उदार आत्मा देकर मुझे सम्भाल॥
भजन संहिता 51:12
13 तब मैं अपराधियों को तेरा मार्ग सिखाऊंगा, और पापी तेरी ओर फिरेंगे।
भजन संहिता 51:13
14 हे परमेश्वर, हे मेरे उद्धारकर्ता परमेश्वर, मुझे हत्या के अपराध से छुड़ा ले, तब मैं तेरे धर्म का जयजयकार करने पाऊंगा॥
भजन संहिता 51:14
15 हे प्रभु, मेरा मुंह खोल दे तब मैं तेरा गुणानुवाद कर सकूंगा।
भजन संहिता 51:15
16 क्योंकि तू मेलबलि से प्रसन्न नहीं होता, नहीं तो मैं देता; होमबलि से भी तू प्रसन्न नहीं होता।
भजन संहिता 51:16
17 टूटा मन परमेश्वर के योग्य बलिदान है; हे परमेश्वर, तू टूटे और पिसे हुए मन को तुच्छ नहीं जानता॥
भजन संहिता 51:17
18 प्रसन्न होकर सिय्योन की भलाई कर, यरूशलेम की शहरपनाह को तू बना,
भजन संहिता 51:18
19 तब तू धर्म के बलिदानों से अर्थात सर्वांग पशुओं के होमबलि से प्रसन्न होगा; तब लोग तेरी वेदी पर बैल चढ़ाएंगे॥
भजन संहिता 51:19
भजन संहिता 51 "परमेश्वर के आगे अपनी होनेवाली निन्दा का भाव" को अक्सर "पापी दाऊद की प्रार्थना" के रूप में जाना जाता है। यह भजन एक प्रार्थना है जिसमें दाऊद प्रभु से अपने पापों के लिए शमा और उद्धार की मांग करते हैं। इस भजन में दाऊद अपने पापों के बोझ को पहचानते हैं और परमेश्वर से क्षमा के लिए प्रार्थना करते हैं।
भजन संहिता 51 में दाऊद परमेश्वर के सामने अपने विचारों और भावनाओं को साफ करते हैं। वह अपने आप को प्रकट करते हैं, और परमेश्वर से आत्मिक शुद्धि के लिए मदद मांगते हैं। इस भजन में प्रेम, विनय, और आत्म-विवेक की भावना है। यहां पापी दाऊद अपने पापों की परिस्थिति में प्रार्थना करते हैं और परमेश्वर की शमा और क्षमा का अनुरोध करते हैं।
भजन संहिता 51 में पापी दाऊद की प्रार्थना विचारशीलता, विनीतता, और विश्वास के साथ प्रकट होती है। यह भजन पाप के लिए पछतावा और परमेश्वर के प्रति निरंतर आत्मसमर्पण की महत्वपूर्णता को संजीवित करता है। इसका संदेश है कि परमेश्वर हमें हमारे पापों के लिए क्षमा कर सकता है और हमें नई शुरुआत और उत्तरदायित्व की दिशा में अग्रसर कर सकता है।
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